Monday 29 July 2013

मोदी विरोधी चिट्ठी में हस्ताक्षर असली

वाशिंगटन। भाजपा चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष व गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिकी वीजा नहीं देने के लिए राष्ट्रपति बराक ओबामा को भारतीय सांसदों के पत्र भेजने के विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। दस्तावेजों की असलियत की जांच करने वाले कैलिफोर्निया के फोरेंसिक दस्तावेज परीक्षक से प्रमाणित कर दिया है कि पत्रों पर सांसदों के हस्ताक्षर असली हैं और जैसा दावा किया गया था कि हस्ताक्षर के साथ कट पेस्ट करके जालसाजी की गई है, वैसा नहीं है।
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि फोरेंसिक जांच के तरीकों और स्वीकार्य सिद्धांतों का इस्तेमाल करते हुए मेरी राय यह है कि राज्यसभा के सदस्यों का तीन पृष्ठों का पत्र एक ही बार में तैयार हुआ है और उस पर गिली स्याही से जो हस्ताक्षर हैं वे असली और प्रामाणिक हैं। लोकसभा के सदस्यों के पत्र के मामले में भी यही कहा गया है।

राज्यसभा और लोकसभा के सदस्यों की ओर से क्रमश: गत 26 नवंबर और पांच दिसबंर को ये पत्र भेजे गए थे। ये पत्र ही इस साल 21 जुलाई को ह्वाइट हाउस फिर फैक्स के जरिये भेजे गए। इसकी हस्तलिपि की फोरेंसिक जांच नानेटे एम बार्टो ने कैलिफोर्निया में की। यह जांच मोदी के खिलाफ मुहिम चलाने वाले संगठन 'कोएलिशन अगेंस्ट जेनोसाइड' की आग्रह पर तब की गई जब कुछ भारतीय सांसदों (जिनमें माकपा के सीताराम येचुरी, भाकपा के एमपी अच्युतन और द्रमुक के केपी रामालिंगम भी थे) ने ओबामा को भेजे पत्र पर अपना हस्ताक्षर होने से इन्कार किया। सीएजी में अमेरिका के करीब 40 भारतीय अमेरिकी संगठन शामिल हैं।

यह संगठन मोदी को अमेरिकी वीजा नहीं देने के लिए अभियान चला रहा है। जब इस फोरेंसिक जांच की रिपोर्ट पर सांसद अच्युतन की प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा कि उन्हे याद नहीं है कि उन्होंने इस तरह के किसी पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।

रामालिंगम ने कहा कि यह विशेषाधिकार का मामला है और यह राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को दिया जाएगा। मैं पहले ही कह चुका हूं कि मैंने पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किया। येचुरी ने कहा था कि उनके हस्ताक्षर को कट पेस्ट किया है, उनकी इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया हासिल नहीं हो सकी।

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