Wednesday 24 July 2013

ओबामा को भेजे मोदी विरोधी खत में सांसदों के फर्जी दस्तखत?

वॉशिंगटन/नई दिल्ली।। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अमेरिकी वीजा की वकालत कर रहे बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह की कोशिशों को झटका लग सकता है। राजनाथ सिंह अभी अमेरिका में हैं और वह ओबामा प्रशासन से नरेंद्र मोदी को वीजा देने की बार-बार अपील कर रहे हैं। राजनाथ की इन कोशिशों के बीच संसद के 65 सदस्यों ने प्रेजिडेंट बराक ओबामा को चिट्ठी लिखकर अमेरिकी प्रशासन से अपील की है कि वह मोदी को वीजा नहीं देने की मौजूदा नीति को बनाए रखे। हालांकि, सांसदों की चिट्ठी पर विवाद खड़ा हो गया है। चिट्ठी में सीपीएम नेता सीताराम येचुरी और सीपीआई के एम. पी. अच्युतन के नाम शामिल हैं, जबकि दोनों ने इसे फर्जी बताया है। उनका कहना है कि उन्होंने इस तरह की किसी चिट्ठी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। 12 राजनीतिक दलों से ताल्लुक रखने वाले सांसदों की ओर से ओबामा को लिखे पत्र में कहा गया है कि हम सम्मानपूर्वक आपसे अपील करते हैं कि मोदी को अमेरिकी वीजा नहीं देने की मौजूदा नीति को बनाए रखा जाए। ऐसे ही एक पत्र पर राज्यसभा के 25 सदस्यों तथा एक अन्य पत्र पर लोकसभा के 40 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। ये पत्र 26 नवंबर और 5 दिसंबर 2012 को लिखे गए थे, जिन्हें रविवार को वाइट हाउस को फिर से फैक्स किया गया है। राजनाथ सिंह के अमेरिकी सांसदों, थिंक टैंक और अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात के लिए वॉशिंगटन पहुंचने के साथ ही इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल द्वारा पत्रों की प्रतियां उपलब्ध कराई गईं। राजनाथ यहां अमेरिकियों से मोदी के लिए वीजा पर लगे बैन को हटवाने की अपील करने वाले हैं। इस अभियान की कमान संभालने वाले राज्यसभा के निर्दलीय सांसद मोहम्मद अदीब ने कहा कि मोदी को वीजा देने से रोकने के लिए ये कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि इन पत्रों को पहली बार सार्वजनिक किया गया है। राजनाथ सिंह ने रविवार को न्यू यॉर्क में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि वह अमेरिकी सांसदों से अपील करेंगे कि वे 2002 के दंगों के बाद मोदी पर लगाए गए वीजा बैन को हटवाने के लिए अमेरिकी प्रशासन पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करें। गौरतलब है कि गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्री रहने के दौरान मानवाधिकारों के हनन के आधार पर वीजा पर बैन लगाया गया था। इन चिट्ठियों पर हस्ताक्षर करने वालों में सीपीएम नेता सीताराम येचुरी और सीपीआई सांसद एम. पी. अच्युतन का भी नाम है। दोनों राज्यसभा के सदस्य हैं। संपर्क करने पर येचुरी ने हैरानी जाहिर करते हुए कहा कि उन्होंने ऐसे किसी पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। उन्होंने कहा कि यह कट पेस्ट का मामला लगता है। येचुरी ने कहा कि मैं अमेरिकी प्रशासन को पत्र लिखने वाला और इस प्रकार का कदम उठाने वाला अंतिम व्यक्ति होऊंगा। हम नहीं चाहते कि कोई देश के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करे। ये ऐसे मसले हैं जिनका समाधान भारतीय राजनीति के तहत किया जाना चाहिए। अच्युतन ने भी ऐसा कोई पत्र लिखे जाने से इनकार किया। हालांकि, अदीब ने जोर देकर कहा कि येचुरी और अच्युतन ने पत्र पर हस्ताक्षर किए थे और उन्हें हैरानी है कि वे अब पीछे हट रहे हैं। ओबामा को लिखे पत्र में कहा गया है कि मोदी प्रशासन के कई सीनियर अधिकारियों समेत अपराधियों के खिलाफ कानूनी मामले अभी भी लंबित हैं और इस समय बैन को हटाने से इसे 2002 के नरसंहार में मोदी की भूमिका से जुड़े मुद्दों को खारिज किए जाने के रूप में देखा जाएगा।

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