Monday 8 July 2013

महाबोधि मंदिर ब्लास्ट: एक-एक हिस्से में आतंकियों की पैठ दिखी

बोधगया [भुवनेश्वर वात्स्यायन]। इसे संयोग कहिए या फिर महात्मा बुद्ध की ज्ञानस्थली की करुणा, जिस वक्त महाबोधि मंदिर में धमाके हुए उस वक्त मंदिर परिसर में काफी कम लोग थे। सुबह के साढ़े पांच बजे थे और दैनिक पूजा की तैयारी चल रही थी। जिस हिसाब से आतंकियों ने मंदिर परिसर में अपनी पहुंच बना रखी थी उससे साफ है कि अगर मंदिर के भीतर भीड़ होती तो दृश्य कुछ और होता। चार विस्फोट मंदिर परिसर के चारों कोने पर हुए। एक तरह से पूरा परिसर आतंकियों की पहुंच में था। मंदिर के ठीक पीछे भगवान बुद्ध के चरणस्थल हैं और यहीं पर बोधिवृक्ष की पूजा होती है। यहां पहुंचने के पहले सुरक्षाकर्मी की अनुमति लेनी होती है। इतनी सुबह कोई व्यक्ति बौद्ध भिक्षु का लिबास पहने बगैर आसानी से नहीं आ सकता, क्योंकि यह पर्यटकों का समय नहीं। ऐसा लगता है कि जिसने बम लगाए उसने अपना लिबास कुछ इस तरह से रखा हुआ था कि किसी को शक न हो। एक धमाका बोधिवृक्ष के समीप हुआ जहां पूजा की तैयारी में लगे दो भिक्षु जख्मी हुए। विस्फोट के वक्त वहां मौजूद कोलकाता से आए शील रक्षित ने बताया कि उन्हें लगा कि जेनरेटर फटा है। इस विस्फोट के तुरंत बाद मंदिर परिसर के दूसरी दिशा में विस्फोट हुआ जो रत्‍‌नागिरी मंदिर के पास है। रत्‍‌नागिरी के बाद तीसरा विस्फोट महाबोधि मंदिर के ऊपरी हिस्से अनिमेषलोचन के पास हुआ। अनिमेषलोचन जिस जगह पर है उसके आगे तालाब के निकट बटर लैंप हाउस है। यहां श्रद्धालुओं द्वारा दीप जलाया जाता है। मुख्य मंदिर से यहां पहुंचने के लिए सीढिय़ां चढऩी पड़ती हैं। चौथा धमाका यहीं हुआ। बटर लैंप हाऊस के समीप एक बड़ी एंबुलेंस के भीतर टाइमर वाली डिवाइस फिट की गई थी। मंदिर परिसर में प्रवेश करने वाले लोगों पर नजर रखने के लिए दस सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। सीसीटीवी के बेमानी होने का अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि उनके फुटेज दो दिनों से अधिक समय तक नहीं रखे जा सकते। मंदिर परिसर के आगे बढऩे पर थाईलैंड के निर्माणाधीन मठ के समीप खड़ी एक टूरिस्ट बस में भी आतंकियों ने बम फिट कर दिया था। उसमें भी विस्फोट हुआ। महाबोधि मंदिर के भीतर बड़ी संख्या में लोग सुबह की सैर को पहुंचते हैं, लेकिन उनकी जांच की कोई व्यवस्था कहीं नजर नहीं आती।

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