Tuesday 23 July 2013

शिवराज ने नहीं माना मोदी को नेता! पोस्‍टर और भाषण में गुजरात के सीएम नदारद

कांग्रेस ने जहां राहुल गांधी को 'पीएम कैंडिडेट' बताया है, वहीं भाजपा ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनावी फेस बनाने व उन्हें फ्रीहैंड देने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ा दिया है। वहीं, मध्‍य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान की जनआशीर्वाद यात्रा के प्रचार होर्डिंग्स से बीजेपी के राष्ट्रीय चुनाव प्रचार प्रमुख नरेंद्र मोदी का चेहरा गायब है। जद यू के अलग होने के बाद अब बीजेपी का पूरा फोकस अकेले दम पर अपनी ताकत बढ़ाने पर है। सहयोगियों की चिंता पार्टी चुनाव बाद करेगी।अमेरिका में भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के ‘प्रो मोदी’ बयान को सोची समझी रणनीतिक कवायद का हिस्सा माना जा रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को भी पार्टी मोदी के नाम पर काफी हद तक राजी कर चुकी है। लिहाजा पूरा एक्शन प्लान इस तरह से बन रहा है कि चुनावी संघर्ष भाजपा बनाम कांग्रेस का हो जाए। पार्टी का पूरा प्लान मोदी की लोकप्रियता के सहारे हिंदुत्ववादी एजेंडा व डेवलपमेंट थ्योरी को एक साथ परवान चढ़ाना है।
पीएम उम्मीदवार घोषित करने का दबाव : मोदी को चुनाव अभियान की कमान दी जा चुकी है, वरिष्ठ नेता मोदी की अगुवाई वाली चुनाव टीम में काम करने को राजी हो गए हैं। अब पार्टी के भीतर यह दबाव बन रहा है कि मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जाए।

पार्टी में आडवाणी खेमे के नजदीकी नेता मान रहे हैं कि मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित करने पर कांग्रेस तथा यूपीए के खिलाफ चुनावी मुद्दा भटक कर सीधे ध्रुवीकरण पर केंद्रित हो सकता है।

मोदी पर बड़ा दांव तय

यह भी कयास लगाई जा रही है कि मोदी के लिए बहुमत का जुमला, दरअसल उन्हें दिया गया चुनावी टास्क है। इसे पूरा करने पर वे प्रधानमंत्री पद के दावेदार होंगे। यानी पार्टी को बहुमत के करीब लाने की जिम्मेदारी मोदी के कंधों पर होगी।

बहुमत की स्ट्रैटजी

पार्टी की रणनीति है कि वह कम से कम 300 सीटों पर मजबूती से लड़े। बहुमत के लिए 272 का जादुई आंकड़ा चाहिए। उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, उत्तराखंड पर पार्टी का खास फोकस है। पार्टी को लग रहा है कि उसे करीब 200 सीटें भी अकेले दम पर मिलती हैं तो सहयोगियों के लिए कवायद में ज्यादा दिक्कत नहीं होगी।

चुनौती कम नहीं-

पार्टी के भीतर ही मोदी कुछ नेताओं का तर्क है कि मोदी के नाम पर सहयोगी मिलने की संभावना बहुत कम। ऐसे में जरूरत पडऩे पर दूसरे चेहरा आगे करने का विकल्प खुला रहना चाहिए। संसदीय बोर्ड इस पर भी मंथन करेगा।

राजनाथ सिंह ने साफ कहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले और बाद में कुछ दल एनडीए में आएंगे। इन्हें लाएगा कौन? कोई उत्तर नहीं। मतलब एनडीए का कुनबा बढ़ाने की जिम्मेदारी भी मोदी पर। चुनाव से पहले और बाद में भी।

बिहार में लिटमस टेस्ट

मोदी के लिए भाजपा ने जदयू से नाता तोड़ लिया। बिहार में सत्ता से बाहर आ गई। चुनौती बिहार में सीट बढ़ाने की नरेंद्र मोदी के जिम्मे।

मोदी के चिंतन में चिंता भी साथ

राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह चुनावी मुद्दे को सांप्रदायिकता की तरफ ले जाना चाहती है। परोक्ष रूप से भाजपा ने मोदी को सचेत किया है कि चुनाव में ध्रुवीकरण की तरफ बढऩे से भाजपा को लाभ हो न हो, कांग्रेस को नुकसान कम होगा।

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