Monday 18 June 2012

मोतीलाल वोरा के साथ अजय पाण्डेय की खास बातचीत

महंगाई, भ्रष्टाचार एवं रुपये की गिरावट जैसे मुद्दों पर सरकार भले ही अपने तर्क गढ़ रही है लेकिन कांग्रेस पार्टी वर्तमान हालात की गंभीरता को समझती है। यह सच है कि इन मुद्दों ने कार्यकर्ताओं को पशोपेश में डाला है। यही कारण रहा कि पेट्रोल की कीमतों ने बेतहासा वृद्धि  को लेकर कांग्रेस के ही कई दिग्गज नाराज थे। 
इन्हीं मुद्दों पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा से हमारे संवाददाता अजय पाण्डेय ने बातचीत की-

 महंगाई, भ्रष्टाचार, गठबंध्न की मजबूरी आदि तमाम ऐसी समस्यायें हैं जो पार्टी को रोज एक चुनौती पेश कर रही हैं इसे आप कैसे देख रहे हैं?
 देखिए, जब आप सरकार में रहते हैं तो ऐसी चुनौतियां आती रहती हैं, लेकिन ये सरकार पर निर्भर करता है कि इन चुनौतियों से कैसे निपटती है। जहां तक संप्रग सरकार की बात है तो सरकार यह मानती है कि महंगाई है, बाजारों में सबकुछ उपलब्ध् हैं लेकिन उंचे दामों पर। लेकिन यह भी सच है कि सरकार पूरी सतर्कता और ईमानदारी से महंगाई को रोकने की दिशा में कार्रवाई कर रही है। इस सन्दर्भ में राज्य सरकारों को भी निर्देश दिए गए हैं कि इस दिशा में सकरात्मक कार्य करें। इनमें से कुछ राज्यों ने जमाखोरी और कालाबाजारी के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई भी की है लेकिन महंगाई पूरी तरह तब तक काबू में नहीं आएगी जब सारे राज्य मिलकर काम नहीं करते। जब बात भ्रष्टाचार की आती है तो सरकार इन मामलों के बाबत सभी मुद्दों की जांच कर रही है और जो भी इस प्रकरण में संलिप्त पाया गया है उस पर कार्रवाई भी हुई है और आगे इस तरह कोई बात होती है तो सरकार उचित कदम उठाने के लिए स्वतंत्र और सक्षम है। 

- अभी हाल ही स्टैण्डर्ड एंड पुअर्स की एक रिपोर्ट आई है जिसमें भारत की आर्थिक गिरावट के लिए केन्द्र सरकार की नीतियों को दोषी ठहराया गया है इस सन्दर्भ में आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
 अभी वैश्विक समाज में जो दौर चल रहा है उससे सब लोग वाकिफ हैं लेकिन यह भी देखना महत्वपूर्ण है कि इन सबके बावजूद भारत मजबूती से टिका हुआ है और लगातार आर्थिक गिरावटों से उबरने की कोशिश कर रहा है। सरकार खुद भी मान रही है कि अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए काफी कुछ करना है। लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि भारतीय अर्थव्यवस्था भी वैश्विक अर्थव्यवस्था का ही हिस्सा है और अगर वैश्विक समाज में मंदी जैसी कोई बात होती है तो भारत पर इसका असर पड़ना स्वाभाविक है। 

 पिछले कुछ दिनों से देखा जा रहा है कि एक संगठन के रूप में कांग्रेस पार्टी लगातार कमजोर होती जा रही है। उत्तर प्रदेश विधनसभा चुनाव इसके उदाहरण हैं, वहां राहुल गाँधी भी बेअसर हो गए, क्या कहेंगे।
 यह सही है कि उत्तर प्रदेश चुनाव में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकी लेकिन यह कहना कि संगठन के रूप में पार्टी कमजोर होती जा रही है सही नहीं है। जहां तक राहुल गाँधी  की बात है तो वे देश के युवा नेता हैं। उनके परिश्रम ने देश में एक वातावरण बनाया है, जिसके बाद कई परिवर्तन हुए हैं। उत्तर प्रदेश में बेशक कम सीटें मिली हैं लेकिन राहुल   गाँधी  का उत्तर प्रदेश का दौरा भविष्य में सकरात्मक परिणाम देंगे , ऐसी उम्मीद है। 

 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गाँधी  को कहां देखते है?
(हंसते हुए) आप साफ-साफ पूछ सकते हैं कि क्या पार्टी 2014 में राहुल गाँधी  को प्रधानमंत्री के रूप में प्रस्तुत करेगी? देखिए फिलहाल  तो मनमोहन सिंह ही देश के  प्रधानमंत्री  हैं और जहां तक राहुल  गाँधी  की बात है तो अभी वो संगठन के लिए बेहतर काम कर रहे हैं, कई राज्यों का वे दौरा कर चुके हैं अभी हाल ही में उन्होंने छत्तीसगढ़ और कर्नाटक का दौरा किया है जिससे वहां के पार्टी संगठन में काफी बदलाव आया है। कार्यकर्ताओं में जोश भी आया है और काफी सक्रियता से काम कर रहे हैं। 2014 के चुनाव में जो होगा वो सामने आएगा। 

 अभी हाल ही में आन्ध्र  प्रदेश उपचुनाव में कांग्रेस को 18 में से महज 2 सीट मिली है वो भी तब जब वहां कांग्रेस की सरकार है।
 हां, यह एक चौंकाने वाला परिणाम है। पार्टी हाईकमान इस संदर्भ में आंध्र  प्रदेश के पार्टी पदाधिकारियों  से बात करेगी और पार्टी की हार के कारणों पर चर्चा की जाएगी। जहां तक आंध्र  प्रदेश सरकार की बात है तो सरकार ने प्रदेश के विकास के लिए काफी काम किया है बावजूद इसके जो परिणाम आये हैं उस पर आने वाले दिनों में मंथन की जाएगी। 

 प्रणव मुखर्जी के राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने से पार्टी को कितनी राहत मिली है?
 प्रणव मुखर्जी कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता हैं, उन्होंने एक लम्बे समय से पार्टी की सेवा की है। इसलिए राष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी स्वाभाविक है। 

 ममता बनर्जी को कैसे मनायेंगे?
 प्रणव मुखर्जी के लिए ममता बनर्जी को छोड़कर सभी घटक दलों ने समर्थन दे दिया है। पार्टी ममता बनर्जी से भी बात कर रही है क्योंकि यह पूरे देश का मामला है। उम्मीद है ममता भी साथ आएंगी। 

 अगला वित्तमंत्री  कौन होगा?
प्रधानमंत्री  खुद एक बड़े अर्थशास्त्राी हैं और उन्होंने तो पहले ही साफ कर दिया है कि प्रणव मुखर्जी के राष्ट्रपति की उम्मीदवारी तय होने के बाद वित्तमंत्री  का अतिरिक्त प्रभार  प्रधानमंत्री   के पास ही रहेगा।


अजय पाण्डेय
(संवाददाता )


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