Dr. A K Walia |
पिछले दो सालों में पोलियो की एक भी शिकायत नहीं आई है, स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए कितनी राहत की बात है?
राहत तो है क्योंकि यह ऐसी बीमारी है जिससे बच्चे कृपण हो जाते हैं। यह काफी सुकून भरा है कि न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरा भारत पोलियो मुक्त हो गया है। बावजूद इसके हम पोलियो अभियान को जारी रखेंगे जिससे कि इसकी वापसी न हो सके।
पोलिया मुक्त दिल्ली के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ी?
यह एक संयुक्त प्रयास था और इसका परिणाम काफी अच्छा रहा। जहां तक मेहनत की बात है तो इस अभियान पर काम तो हुआ है। पोलियो वायरस के समूल नाश के लिए लगभग 7900 बूथ बनाये गए हैं जो औसतन एक विधानसाभा के हिसाब से 50 से 100 हैं। इसके अलावा पोलियो ड्रॉप्स पिलाने के लिए हर घर तक जाने की भी व्यवस्था कराई गई है।
दिल्ली के अस्पतालों में सफाई को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं क्या कहेंगे?
अस्पतालों में साफ-सफाई को लेकर विशेष ध्यान दिया जाता है कोशिश की जाती है कि अस्पताल परिसर में किसी भी प्रकार की कोई गंदगी न हो। अस्पतालों से निकलने वाले तज्य पदार्थों को उचित तरीके से निपटाया जाता है। प्लास्टिक युक्त अपशिष्ट को पहले काटा जाता है फिर उसे अपघटित कर उपचार किया जाता है। इसके अलावा छोटे अस्पतालो से निकलने वाले अपशिष्ट को बड़े अस्पतालों में भेजा जाता है और फिर वहां इसका निपटान होता है।
मुख्यमंत्री शीला दीक्षित अक्सर कहती रहती हैं कि दिल्ली के अस्पतालों में बाहरी लोगों का बोझ है इसलिए दिल्लीवासियों को बेहतर सुविधयें नहीं मिल पातीं, क्या आप भी ऐसा मानते हैं?
दरअसल दिल्ली के अस्पतालों में 40 फीसदी लोग बाहर से आते हैं, ऐसे में दबाव तो रहता ही है। लेकिन राजधनी क्षेत्र होने के नाते हमारा यह फर्ज भी बनता है कि हम बाहर से आने वाले लोगों को बेहतर चिकित्सा मुहैया करायें। और जहां तक दिल्लीवासियों की बात है तो उनके लिए भी सदैव तत्पर हैं और सबको संतुलन में रखकर चिकित्सा सुविधा दी जाती है।
दिल्ली की जो चिकित्सा व्यवस्था है उसे किस आधार पर अन्य राज्यों से बेहतर मानते हैं?
दिल्ली की चिकित्सा व्यवस्था बेहतर है। यहां ऐसी कई सुविधाएं हैं जो चाहे बाहर से आने वाले लोग हों या फिर दिल्लीवासी सबको एकसमान उपलब्ध् कराई जाती है। कई सुपर स्पेशलिटी सुविधा है जहां किडनी ट्रांसप्लांट, लीवर ट्रांसप्लांट, न्यूरोसर्जरी आदि की उच्च स्तरीय व्यवस्था है। दरअसल दिल्ली बाहरी लोगों से लेकर यहां तक के लोगों के लिए एक आखिरी पड़ाव है।
एक डॉक्टर होने के नाते क्या आप ऐसा मानते हैं कि वर्तमान में डॉक्टर या नर्स अपने काम को लेकर तनाव में रहते हैं और अगर ऐसा है तो इसके लिए सरकार के पास इसे दूर करने की क्या कोई योजना है?
देखिए! चिकित्सा कार्य एक मानवीय काम है तो इसमें डॉक्टरों और नर्सों के तनाव में आना स्वाभाविक सी बात है। उनके उपर बेहतर काम करने का दबाव रहता है। कई बार ऐसे परिवार आ जाते हैं जिसमें मरीज की मौत हो जाने पर उसका परिवार लड़ने-झगड़ने पर उतारू हो जाता है। ऐसे में इनके तनाव कम हो सके इसके लिए सरकार अतिरिक्त डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल चिकित्सकों को नियुक्त किया जा रहा है।
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AMAR BHARTI (HINDI DAILY)
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good job
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