नई दिल्ली. जनलोकपाल की मांग को लेकर सरकार को परेशानी में डालने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे की केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद से हुई गुपचुप मुलाकात पर सवाल उठने लगे हैं। बताया जा रहा है कि अन्ना और सलमान की यह मुलाकात बीते 23 को हुई थी। पुणे-नासिक हाईवे से 90 किलोमीटर दूर फिरौदिया नाम के गेस्ट हाउस में हुई इस मुलाकात के बारे में अब अन्ना कुछ भी बोलना नहीं चाह रहे हैं। पुणे में पत्रकारों ने अन्ना से जब इस मुलाकात के बारे में सवाल किया तो वह कुछ नहीं बोले। हालांकि उन्होंने इससे इनकार भी नहीं किया कि उनकी सलमान खुर्शीद से मीटिंग हुई थी। उन्होंने कहा कि समय आने पर सब कुछ बता देंगे। जिस रिपोर्टर ने अन्ना ने यह सवाल किया उसपर ही अन्ना भड़क गए। उन्होंने पूछा, 'आपकी इसमें क्यों दिलचस्पी है? अन्ना को जब पारदर्शिता का हवाला दिया गया, तो उन्होंने यहां तक कह दिया कि 'पारदर्शिता के चक्कर में जेल जाना पड़ेगा।' गौरतलब है कि इस प्रेस कांफ्रेंस में अन्ना के साथ बाबा रामदेव भी थे। खुर्शीद ने इस सवाल के जवाब में संकेत दिया कि वो अन्ना से मिले हैं। उन्होंने कहा, 'मैं अच्छे लोगों से मिलता रहता हूं।' हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि दोनों के बीच क्या बात हुई? वहीं कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी इस सवाल के जवाब से पल्ला झाड़ते दिखे। सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय मंत्री अपनी पत्नी लुई खुर्शीद के साथ अन्ना से मिलने नासिक पहुंचे। केंद्रीय मंत्री ने अन्ना से अनुरोध किया कि टीम अन्ना की तरफ से जारी की गई भ्रष्ट मंत्रियों की लिस्ट में से उनका नाम हटा लिया जाए। ऐसी खबर है कि अन्ना और उनके ड्राइवर ही इस मुलाकात में आए थे इसलिए इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि अन्ना इस मीटिंग में अकेले ही आए और उनके सहयोगियों को इसकी जानकारी नहीं थी। अन्ना के बेहद करीबी माने जाने वाले और अन्ना की सभी गतिविधियों की जानकारी देते रहने वाले सुरेश पठारे ने भी इस बाबत कुछ नहीं बताया है। अन्ना हजारे की खुर्शीद की इस गुपचुप मुलाकात पर सवाल उठने लाजमी हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले टीम अन्ना ने बीते 26 मई को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित 15 मंत्रियों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया था। टीम अन्ना ने भ्रष्टाचार के आरोपों के सबूत के तौर पर दस्तावेजों के साथ एक चिट्ठी पीएम को लिखी थी। इसमें हजारे के अलावा अरविंद केजरीवाल, शांति भूषण, प्रशांत भूषण, किरण बेदी और मनीष सिसौदिया के दस्तखत थे।
Tuesday, 17 July 2012
Tuesday, 3 July 2012
आईसीयू में है रेलवेः प्रबोध पान्डा
वर्तमान में रेलवे कई बिन्दुओं पर घिरी हुई दिखाई दे रही है जिसमें सफाई का
मुद्दा सबसे अहम है। आप इसे कैसे देखते हैं?
आज रेलवे की जो हालत है वो अब तक के रेल इतिहास के सबसे बुरे दौर में है। इसका
मुख्य कारण है कि यहां न तो कोई नियम कानून है और न ही एक समुचित नौकरशाही।
जिसकी वजह से किसी भी प्रकार की योजनाओं को मूर्तरूप नहीं दिया जा रहा।
साफ-सफाई इसी उपेक्षित नौकरशाही का परिणाम है। आप ऐसा कह सकते हैं कि रेलवे
में पूरी तरह अराजकता व्याप्त है जहां जिसे जो समझ में आ रहा है कर रहा है।
किसी भी तरह की कोई सामूहिक जिम्मेदारी नहीं है।
वर्तमान में रेलवे कौन-कौन सी नई परियोजनाओं पर काम कर रही हैं?
आज रेलवे के पास कोई नई योजनायें नहीं हैं जितनी भी योजनाएं चल रही हैं वो सभी
लालू यादव के समय की हैं। अभी आप देखिए लालू यादव के बाद ममता बनर्जी
रेलमंत्री बनी उसके बाद दिनेश त्रिवेदी अब मुकुल राय। अब कोई भी मंत्री ठीक
से एक साल काम नहीं कर पाता है तो आप किस तरह की योजनाओं और विकास की बात करते
हैं। किसी भी योजना और विकास के लिए टिक कर काम करना जरूरी होता है लेकिन
यहां तो मंत्रालय ही आपाधापी कर कर रहा है।
लालू यादव, ममता बनर्जी, दिनेश त्रिवेदी और अब मुकुल राय इनमें से सबसे बेहतर
* *रेलमंत्री किसे मानते हैं?
देखिए, किसी भी मंत्री की तुलना के लिए उसके पूरे कार्यकाल का कामकाज देखना
पड़ता है। लालू यादव ने अपना कार्यकाल तो पूरा कर लिया, लेकिन ममता बनर्जी,
दिनेश त्रिवेदी और मुकुल राय इनमें से किसी ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया
है। ऐसे में इनकी तुलना थोड़ी मुश्किल है। लेकिन यहां स्पष्ट है कि लालू यादव
के बाद रेलवे काफी घाटे में चल रही है। लालू यादव ने अपने सभी बजटों में बचत
लाभ दिखाया था। लेकिन उनके बाद अभी तक यह लाभ देखने को नहीं मिला।
पिछले रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी ने कहा था कि रेलवे आईसीयू में है,
कितना सहमत हैं?
बिल्कुल सही कहा था कि रेलवे आईसीयू में है। लेकिन किसी को क्या? ममता बनर्जी
कहती हैं कि वो विजन 2020 देख रही हैं लेकिन अब वे ही बताएं कि विजन 2020 तीन
साल में तीन रेलमंत्री बदलकर हो कैसे पूरा हो सकता है?
*
इस बात में कितनी सच्चाई है कि योजना आयोग ने रेलवे की आर्थिक नीतियों को
नियोजित करने की बात कही थी और अगर यह सही है तो इस मामले में बात कहा तक
पहुंची?
हां, ये सही है कि योजना आयोग ने रेलवे के सामने ऐसा प्रस्ताव रखा था, लेकिन
उसने यह भी शर्त रखी थी कि बजट कम से कम 300 करोड़ का हो। लेकिन रेलवे मंत्रालय
ने इस बजट को 300 करोड़ तक होने ही नहीं दिया। अब इस बात से रेलवे के मंतव्य को
जाना सकता है। आज रेलवे में जो कुछ भी चल रहा है वो अराजकता का ही परिणाम है
जो किसी भी योजना को क्रियान्वित होने से रोक रहा है।
आपके अनुसार रेलवे को आईसीयू से बाहर निकालने के लिए क्या करना होगा?
देखिए, रेलवे एक सार्वजनिक उपयोगिता का क्षेत्र है जो कई मुश्किलों के दौर से
गुजर रहा है। रेलवे की पूरी व्यवस्था ध्वस्त हुई पड़ी है। इसमें सभी पार्टियों
को मिलकर काम करना चाहिए। उन मुद्दों पर न सिर्फ बहस की जरूरत है बल्कि उन
बातों के सामाधन ढूंढने की भी जरूरत है जिनकी वजह से रेलवे आज भी आईसीयू में
है।
संवाददाता- अजय पाण्डेय
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Sunday, 1 July 2012
सानिया और कंट्रोवर्सी, हमेशा रहा है चोली-दामन का साथ!
टेनिस में तेज सर्विस की कोशिश में अक्सर डबल फॉल्ट होता है। सानिया भी जितनी तेजी से आगे बढ़ीं, उतने ही विवाद भी उनके साथ लगे रहे। अब उन्होंने दो खिलाडिय़ों के अहं के टकराव में मोहरा बनाने की बात कहकर नई चर्चा छेड़ दी है। बात सानिया के बचपन के दिनों की है, जब वे महज छह साल की थीं। सानिया के पिता इमरान मिर्जा उन्हें हैदराबाद में एक कोच के पास लेकर गए। लेकिन कोच ने यह कहकर सानिया को कोचिंग देने से मना कर दिया कि अभी वे बहुत छोटी हैं। यह उम्र गुड्डे-गुडिय़ों जैसे खेल खेलने की है, टेनिस का प्रशिक्षण लेने की नहीं। लेकिन जब कोच ने उन्हें रैकेट पकड़कर फॉरहैंड शॉट लगाते देखा तो वे सानिया के टैलेंट के आगे नतमस्तक हो गए। उन्होंने तत्काल इमरान मिर्जा को बुलाकर कहा? इतनी कम उम्र में इतनी ज्यादा टैलेंटेड खिलाड़ी उन्होंने पहले कभी नहीं देखी। यह तो फ्यूचर स्टार है। तो यह सानिया की शुरुआत थी। हर सफल व्यक्ति के साथ जिस तरह विवाद जुड़ जाते हैं, उसी तरह सानिया भी विवादों से मुक्त नहीं रही हैं। वे टेनिस कोर्ट से ज्यादा विज्ञापनों और अफेयरों के चलते अखबारों की सुर्खियों में नजर आईं, लेकिन कभी हार न मानने की जिजीविषा के दम पर उन्होंने तमाम बाधाओं से पार पा लिया। भूपति के पिता से ली कोचिंग सानिया ने छह साल की उम्र में टेनिस खेलना शुरू किया था। उन्होंने अपने पिता और स्पोट्र्स जर्नलिस्ट इमरान मिर्जा से खेल की बारीकियां सीखीं। पेशेवर प्रशिक्षण महेश भूपति के पिता सीके भूपति से 12 साल की उम्र से लेना शुरू किया। इसके लिए वे पहले सिकंदराबाद की टेनिस एकेडमी में गईं, फिर अमेरिका में भी कोचिंग ली। कॉर्पोरेट घरानों का मिला साथ टेनिस एक महंगा खेल माना जाता है और पेशेवर कोचिंग में हर महीने लाखों का खर्च आता है। सानिया ने जब पेशेवर कोचिंग लेना शुरू किया तो उनके पिता के लिए इसका खर्च उठाना मुश्किल होने लगा। हारकर उन्होंने कॉर्पोरेट जगत से मदद की अपील की। सानिया की किस्मत अच्छी थी कि एडिडास तथा जीवीके इंडस्ट्रीज उनके प्रायोजक बनने को तैयार हो गए। शादी के किस्से 2009 में बचपन के दोस्त सोहराब मिर्जा के साथ उनकी मंगनी हुई, लेकिन जल्द ही टूट गई। फिर एक करोड़पति व्यवसायी फैजान उदयावर के साथ अफेयर की खबरें आईं, लेकिन छह महीने बाद ही पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक के साथ उनके रिश्ते सार्वजनिक हो गए। अप्रैल 2010 में दोनों ने शादी कर ली। फिर एक महिला ने दावा किया कि शोएब के साथ उसकी शादी हो चुकी है और शोएब व सानिया की शादी वैध नहीं हो सकती। अंतत: शोएब को महिला को तलाक देना पड़ा। कुरान पढऩा नहीं भूलतीं अंतरराष्ट्रीय टेनिस मैचों में व्यस्तताओं के बावजूद सानिया हर दिन कुरान की आयतें पढ़ती हैं और नियमित नमाज भी अदा करती हैं। खाली समय में उन्हें इंटरनेट पर सर्फिंग करना तथा फिल्में देखना पसंद है। इसके साथ ही वे हिंदी फिल्मों के गानें भी खूब सुनती हैं। बिरयानी है पसंद खाने में उनकी पसंदीदा डिश बिरयानी है, लेकिन केला और सेब जैसे फल उन्हें नहीं भाते। फुर्सत के समय जींस-शर्ट या फिर सलवार-कुर्ता पहनना पसंद करती हैं। खेल में उन्हें टेनिस के अलावा क्रिकेट देखना अच्छा लगता है। विवादों के कोर्ट में... तिरंगे का अपमान वर्ष 2008 में होपमैन कप के दौरान एक तस्वीर में सानिया के पैरों के सामने भारत का तिरंगा रखा दिखाया गया। इसे तिरंगे का अपमान समझा गया। सेक्स पर विचार नवंबर 2005 में सानिया ने सेफ सेक्स को लेकर कॉन्फ्रेंस में विचार रखे तो विवाद हुआ। बाद में उन्हें स्पष्टीकरण देना पड़ा कि वे शादी से पहले सेक्स के खिलाफ हैं। टेनिस कोर्ट पर छोटे कपड़े 2005 में टेनिस कोर्ट पर सानिया की शॉर्ट ड्रेस के चलते कट्टरपंथी ताकतों ने जमकर आलोचना की। इसे इस्लाम विरोधी बताकर उनके खिलाफ फतवे भी जारी किए गए।
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विधायक के साथ दुर्व्यवहार मामले में पांच गिरफ्तार
कांग्रेस विधायक रूमी नाथ और उनके दूसरे पति पर कथित तौर पर हमला करने के मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस आयुक्त प्रदीप पुजारी ने बताया की महिला विधायक पर हमला मामले में पांच संदिग्ध व्यक्तियों को यहां पर गिरफ्तार किया गया। नाथ और उनके पति को शुक्रवार को लोगों के एक गुट ने पिटाई कर घायल कर दिया था। यह गुट विधायक द्वारा अपने पहले पति को तलाक दिए बिना दूसरी शादी किए जाने को लेकर नाराज था। विधायक और उनके पति को गुवाहाटी पहुंचाया गया और उपचार कराया गया। उनकी हालत खतरे से बाहर बतायी जा रही है। पुजारी ने बताया कि कांग्रेस की विधायक ने एक एफआईआर दर्ज कराई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि भीड़ ने राजनीतिक इरादों से उनपर हमला किया। इस मामले की जांच की जा रही है। नाथ ने अपने उपर हमले को राजनीतिक साजिश करार देते हुए कहा, मुक्षे आंतरिक और बाहरी तौर पर कुछ चोट पहुंची है। आज से इलाज करा रही हूं और मुझे लगता है कि जल्द ही ठीक हो जाऊंगी
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Sunday, 24 June 2012
जंतर मंतर पर भूख हड़ताल पर बैठे पायलट
नई दिल्ली। इंडियन पायलट गिल्ड [आइपीजी] के 10 पायलटों ने जंतर-मंतर पर रविवार से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी। पिछले 47 दिन से जारी हड़ताल को और असरदार बनाने की मंशा से एयर इंडिया के पायलटों ने यह रणनीति तैयार की है। पायलटों ने एयर इंडिया प्रबंधन द्वारा भेदभाव और शोषण का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ अपने नए कदम का एलान किया है। आइपीजी विलय से पूर्व एयर इंडिया के पायलटों का संगठन है। आइपीजी के सदस्य रोहित कपाही ने कहा कि हम चाहते है कि हड़ताल जल्द से जल्द समाप्त हो, लेकिन हम काम पर तब तक नहीं लौटेगे, जब तक हमारे बर्खास्त 101 साथियों को बहाल नहीं किया जाता। एयर इंडिया प्रबंधन ने आठ मई से हड़ताल शुरू करने वाले 101 पायलटों को बर्खास्त कर दिया था। ये पायलट एयर इंडिया में विलय की गई विमानन कंपनी इंडियन एयरलाइंस के पायलटों को बोइंग 787 ड्रीमलाइनर का प्रशिक्षण दिए जाने के विरोध में हड़ताल पर है। अनशन करने वाले पायलटों का नेतृत्व कैप्टन आदित्य सिंह ढिल्लन कर रहे हैं। कपाही ने कहा कि यह बात सच नहीं है कि पायलटों का वेतन बेहद ज्यादा होता है। भूख हड़ताल के दौरान हम अपनी पे-स्लिप भी दिखाएंगे ताकि दुनिया को पता चल सके कि हमें उद्योग के मानक के मुताबिक ही वेतन दिया जा रहा है, जो कि बहुत ज्यादा नहीं है। केंद्रीय विमानन मंत्री अजित सिंह कई बार पायलटों से काम पर लौटने की अपील कर चुके हैं, जबकि एयर इंडिया ने नए पायलटों की बहाली भी शुरू कर दी है। इस सरकारी एविएशन कंपनी को हड़ताल से अब तक लगभग 520 करोड़ रुपये का चूना लग चुका है। कंपनी अपनी 45 में से अभी सिर्फ 38 सेवाओं का ही संचालन कर पा रही है।
प्रसाद में मादक पदार्थ
मदुरै. विवादास्पद स्वामी नित्यानंद के खिलाफ पवित्र जल (प्रसाद) में मादक पदार्थ (ड्रग्स) मिलाने का केस दर्ज किया गया है। उनपर पहले से ही कई केस चल रहे हैं। पुलिस ने शनिवार को मद्रास हाईकोर्ट को केस दर्ज करने की जानकारी दी है। मामले में नित्यानंद के अलावा दो और लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। कोर्ट ने एम सोलाई कन्नन की शिकायत पर पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे। पुलिस ने मद्रास उच्च न्यायालय को जानकारी दी है कि उन्होंने नित्यानंद और दो दूसरे लोगों के खिलाफ श्रद्धालुओं को पवित्र पानी या चरणामृत के नाम पर ड्रग्स मिला हुआ पानी देने एक मामला दर्ज किया है। नित्यानंद के खिलाफ एम सोलुईकन्नन की शिकायत पर जब मद्रास हाईकोर्ट के सामने ये मामला सुनवाई के लिए आया तो सरकारी वकील ने अदालत को जानकारी दी कि पुलिस ने कई धाराओं के तहत नित्यानंद के खिलाफ केस दाखिल कर लिया है। नित्यानंद ने बैंगलोर आश्रम को छोड़कर एक बेहद पुरानी धार्मिक संस्था मदुरई अधीनम में अपना ठिकाना बनाया है। वह आश्रम में अपने भक्तों को जो पवित्र तरल प्रसाद देते थे उसमे ड्रग्स की मिलावट होती थी। उन्होंने अपने कई भक्तों की धार्मिक भावनाओं और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया है। गौरतलब है कि स्वामी को रेप, अश्लीलता और मार-पीट के आरोप में कुछ दिन पहले ही गिरफ्तार किया गया था। बाद में उनको दो मामलों में जमानत मिली थी। उनके आश्रम में तलाशी के दौरान कई चौंकाने वाली चीजें मिली थीं। दुनिया भर में योग का प्रचार करने वाले बाबा के निजी कमरे से ट्रेडमील और डंबल्स मिले थे। जांच के दौरान उनके कमरे में डबल बेड, एयर कंडीशन, एलसीडी टीवी और लॉकर पाया गया था। लाकर से ज्वेलरी और निजी दस्तावेज बरामद हुआ था। इसे जांच के लिए सीज कर दिया गया था। बाबा ने इस जांच के खिलाफ करोड़ों के हर्जाने का केस दायर किया था।
Thursday, 21 June 2012
चिकित्सा का आखिरी पड़ाव है दिल्लीः वालिया
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Dr. A K Walia |
पिछले दो सालों में पोलियो की एक भी शिकायत नहीं आई है, स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए कितनी राहत की बात है?
राहत तो है क्योंकि यह ऐसी बीमारी है जिससे बच्चे कृपण हो जाते हैं। यह काफी सुकून भरा है कि न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरा भारत पोलियो मुक्त हो गया है। बावजूद इसके हम पोलियो अभियान को जारी रखेंगे जिससे कि इसकी वापसी न हो सके।
पोलिया मुक्त दिल्ली के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ी?
यह एक संयुक्त प्रयास था और इसका परिणाम काफी अच्छा रहा। जहां तक मेहनत की बात है तो इस अभियान पर काम तो हुआ है। पोलियो वायरस के समूल नाश के लिए लगभग 7900 बूथ बनाये गए हैं जो औसतन एक विधानसाभा के हिसाब से 50 से 100 हैं। इसके अलावा पोलियो ड्रॉप्स पिलाने के लिए हर घर तक जाने की भी व्यवस्था कराई गई है।
दिल्ली के अस्पतालों में सफाई को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं क्या कहेंगे?
अस्पतालों में साफ-सफाई को लेकर विशेष ध्यान दिया जाता है कोशिश की जाती है कि अस्पताल परिसर में किसी भी प्रकार की कोई गंदगी न हो। अस्पतालों से निकलने वाले तज्य पदार्थों को उचित तरीके से निपटाया जाता है। प्लास्टिक युक्त अपशिष्ट को पहले काटा जाता है फिर उसे अपघटित कर उपचार किया जाता है। इसके अलावा छोटे अस्पतालो से निकलने वाले अपशिष्ट को बड़े अस्पतालों में भेजा जाता है और फिर वहां इसका निपटान होता है।
मुख्यमंत्री शीला दीक्षित अक्सर कहती रहती हैं कि दिल्ली के अस्पतालों में बाहरी लोगों का बोझ है इसलिए दिल्लीवासियों को बेहतर सुविधयें नहीं मिल पातीं, क्या आप भी ऐसा मानते हैं?
दरअसल दिल्ली के अस्पतालों में 40 फीसदी लोग बाहर से आते हैं, ऐसे में दबाव तो रहता ही है। लेकिन राजधनी क्षेत्र होने के नाते हमारा यह फर्ज भी बनता है कि हम बाहर से आने वाले लोगों को बेहतर चिकित्सा मुहैया करायें। और जहां तक दिल्लीवासियों की बात है तो उनके लिए भी सदैव तत्पर हैं और सबको संतुलन में रखकर चिकित्सा सुविधा दी जाती है।
दिल्ली की जो चिकित्सा व्यवस्था है उसे किस आधार पर अन्य राज्यों से बेहतर मानते हैं?
दिल्ली की चिकित्सा व्यवस्था बेहतर है। यहां ऐसी कई सुविधाएं हैं जो चाहे बाहर से आने वाले लोग हों या फिर दिल्लीवासी सबको एकसमान उपलब्ध् कराई जाती है। कई सुपर स्पेशलिटी सुविधा है जहां किडनी ट्रांसप्लांट, लीवर ट्रांसप्लांट, न्यूरोसर्जरी आदि की उच्च स्तरीय व्यवस्था है। दरअसल दिल्ली बाहरी लोगों से लेकर यहां तक के लोगों के लिए एक आखिरी पड़ाव है।
एक डॉक्टर होने के नाते क्या आप ऐसा मानते हैं कि वर्तमान में डॉक्टर या नर्स अपने काम को लेकर तनाव में रहते हैं और अगर ऐसा है तो इसके लिए सरकार के पास इसे दूर करने की क्या कोई योजना है?
देखिए! चिकित्सा कार्य एक मानवीय काम है तो इसमें डॉक्टरों और नर्सों के तनाव में आना स्वाभाविक सी बात है। उनके उपर बेहतर काम करने का दबाव रहता है। कई बार ऐसे परिवार आ जाते हैं जिसमें मरीज की मौत हो जाने पर उसका परिवार लड़ने-झगड़ने पर उतारू हो जाता है। ऐसे में इनके तनाव कम हो सके इसके लिए सरकार अतिरिक्त डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल चिकित्सकों को नियुक्त किया जा रहा है।
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AMAR BHARTI (HINDI DAILY)
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