Friday 11 October 2013

मलाला को नहीं मिला शांति का नोबल पुरूस्कार


न्यूयॉर्क: तालिबान से ल़डने वाली मलाला को शांति का नोबल पुरस्कार नहीं मिला है. केमिकल हथियारों के खिलाफ लड़ने वाली OPCW नाम की संस्था को इस साल का शांति का नोबल पुरस्कार दिया गया है. इससे पहले मलाला यूसुफजई ने कहा था कि वह अपनी आदर्श बेनजीर भुट्टो के पदचिह्नों का अनुसरण करते हुए प्रधानमंत्री बनना चाहती है और इस पद का इस्तेमाल अपने देश की सेवा करने के लिए करना चाहती हैं. इस साल शांति के लिए नोबेल पुरस्कार की शीर्ष दावेदार मलाला ने उस दिन के बारे में बात की जब तालिबान के बंदूकधारी उसकी स्कूल बस में चढ गए थे और उसके सिर पर गोली मारी थी. मलाला ने नोबल के लिए शीर्ष दावेदार होने संबंधी विचारों के बारे में भी बात की. मलाला पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बेनजीर को अपने आदर्शों में से एक मानती है और उसका कहना है कि वह उन्हें सबसे ज्यादा पसंद करती हैं. मलाला ने कहा कि वह भविष्य में अपने देश का नेतृत्व करना चाहती है और राजनीति उसे अपने देश की सेवा करने का मंच मुहैया कराएगी. उसने कहा कि वह पहले चिकित्सक बनने का सपना देखा करती थी लेकिन अब वह राजनीति में आना चाहती है. मलाला ने कहा कि तालिबान के हमले का शिकार बनने और मौत का सामना करने के बावजूद उसने सपने देखना बंद नहीं किया है और वह शिक्षा के लिए काम करना चाहती है. मलाला ने कहा,"तालिबान मेरे शरीर को गोली मार सकता है लेकिन वे मेरे सपनों को नहीं मार सकते." उसने कहा कि तालिबान ने उसे मारने और चुप कराने की कोशिश करके अपनी ‘सबसे बड़ी’ गलती की है.

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