Tuesday 3 July 2012

आईसीयू में है रेलवेः प्रबोध पान्डा

भारतीय रेलवे जिसे हमारे देश में सर्वाधिक रोजगार देने वाला उपक्रम माना जाता है, लेकिन पिछले काफी दिनों से वह चर्चा में रही है। चाहे वो रेलमंत्री की स्थायित्व और जिम्मेदारियों की बात हो, नई योजनाओं का मामला हो, साफ-सफाई का मामला हो, अवैध् वैण्डरों का मामला हो या फिर तत्काल टिकटों की खरीद-फरोख्त में दलालों की बढ़ती सक्रियता हो सबने रेलवे की साख को गिराया ही है। रेलवे की इन तमाम समस्याओं को लेकर अभी हाल ही में रेलवे के सलाहकार समिति के सदस्य और मेदिनीपुर (पश्चिम बंगाल) से सीपीआई (एम) के लोकसभा सांसद *प्रबोध पान्डा* की मुलाकात हमारे संवाददाता *अजय पाण्डेय* से हुई। पेश है बातचीत के मुख्य अंश-

वर्तमान में रेलवे कई बिन्दुओं पर घिरी हुई दिखाई दे रही है जिसमें सफाई का मुद्दा सबसे अहम है। आप इसे कैसे देखते हैं?
आज रेलवे की जो हालत है वो अब तक के रेल इतिहास के सबसे बुरे दौर में है। इसका मुख्य कारण है कि यहां न तो कोई नियम कानून है और न ही एक समुचित नौकरशाही। जिसकी वजह से किसी भी प्रकार की योजनाओं को मूर्तरूप नहीं दिया जा रहा। साफ-सफाई इसी उपेक्षित नौकरशाही का परिणाम है। आप ऐसा कह सकते हैं कि रेलवे में पूरी तरह अराजकता व्याप्त है जहां जिसे जो समझ में आ रहा है कर रहा है। किसी भी तरह की कोई सामूहिक जिम्मेदारी नहीं है।

वर्तमान में रेलवे कौन-कौन सी नई परियोजनाओं पर काम कर रही हैं?
आज रेलवे के पास कोई नई योजनायें नहीं हैं जितनी भी योजनाएं चल रही हैं वो सभी लालू यादव के समय की हैं। अभी आप देखिए लालू यादव के बाद ममता बनर्जी रेलमंत्री बनी उसके बाद दिनेश त्रिवेदी अब मुकुल राय। अब कोई भी मंत्री ठीक से एक साल काम नहीं कर पाता है तो आप किस तरह की योजनाओं और विकास की बात करते हैं। किसी भी योजना और विकास के लिए टिक कर काम करना जरूरी होता है लेकिन यहां तो मंत्रालय ही आपाधापी कर कर रहा है।

लालू यादव, ममता बनर्जी, दिनेश त्रिवेदी और अब मुकुल राय इनमें से सबसे बेहतर * *रेलमंत्री किसे मानते हैं?
देखिए, किसी भी मंत्री की तुलना के लिए उसके पूरे कार्यकाल का कामकाज देखना पड़ता है। लालू यादव ने अपना कार्यकाल तो पूरा कर लिया, लेकिन ममता बनर्जी, दिनेश त्रिवेदी और मुकुल राय इनमें से किसी ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है। ऐसे में इनकी तुलना थोड़ी मुश्किल है। लेकिन यहां स्पष्ट है कि लालू यादव के बाद रेलवे काफी घाटे में चल रही है। लालू यादव ने अपने सभी बजटों में बचत लाभ दिखाया था। लेकिन उनके बाद अभी तक यह लाभ देखने को नहीं मिला।

पिछले रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी ने कहा था कि रेलवे आईसीयू में है, कितना सहमत हैं?
बिल्कुल सही कहा था कि रेलवे आईसीयू में है। लेकिन किसी को क्या? ममता बनर्जी कहती हैं कि वो विजन 2020 देख रही हैं लेकिन अब वे ही बताएं कि विजन 2020 तीन साल में तीन रेलमंत्री बदलकर हो कैसे पूरा हो सकता है? *

इस बात में कितनी सच्चाई है कि योजना आयोग ने रेलवे की आर्थिक नीतियों को नियोजित करने की बात कही थी और अगर यह सही है तो इस मामले में बात कहा तक पहुंची?
हां, ये सही है कि योजना आयोग ने रेलवे के सामने ऐसा प्रस्ताव रखा था, लेकिन उसने यह भी शर्त रखी थी कि बजट कम से कम 300 करोड़ का हो। लेकिन रेलवे मंत्रालय ने इस बजट को 300 करोड़ तक होने ही नहीं दिया। अब इस बात से रेलवे के मंतव्य को जाना सकता है। आज रेलवे में जो कुछ भी चल रहा है वो अराजकता का ही परिणाम है जो किसी भी योजना को क्रियान्वित होने से रोक रहा है।

आपके अनुसार रेलवे को आईसीयू से बाहर निकालने के लिए क्या करना होगा?
देखिए, रेलवे एक सार्वजनिक उपयोगिता का क्षेत्र है जो कई मुश्किलों के दौर से गुजर रहा है। रेलवे की पूरी व्यवस्था ध्वस्त हुई पड़ी है। इसमें सभी पार्टियों को मिलकर काम करना चाहिए। उन मुद्दों पर न सिर्फ बहस की जरूरत है बल्कि उन बातों के सामाधन ढूंढने की भी जरूरत है जिनकी वजह से रेलवे आज भी आईसीयू में है।

संवाददाता- अजय पाण्डेय 
AMAR BHARTI (HINDI DAILY) 
Pratap Bhawan, 5, Bahadurshah Zafar Marg, New Delhi-110002 
Tel.:011-23724460, 43083451 Fax:011-23724456

No comments:

Post a Comment