Tuesday 19 March 2013

डीएमके ने राष्ट्रपति को सौंपी समर्थन वापसी की चिट्ठी


श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे पर यूपीए के घटक दल द्रमुक ने मंगलवार को देर रात राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को समर्थन वापसी की चिट्ठी सौंप दी। दिन में पार्टी प्रमुख करुणानिधि ने इसकी घोषणा की और देर रात पार्टी नेताओं ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर उन्हें इस संबंध में चिट्ठी सौंपी।

डीएमके नेता टीआर बालू ने कहा कि बुधवार को सुबह 11 बजे उनकी पार्टी के मंत्री पीएम मनमोहन सिंह से मिल कर अपने इस्तीफे सौंप देंगे। यूपीए सरकार में द्रमुक के एक कैबिनेट समेत पांच मंत्री हैं।

डीएमके से नौ साल पुराना नाता टूटने के बाद यूपीए सरकार ‘नंबर गेम’ के सियासी संकट में घिर गई है। हालांकि हमेशा की तरह समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी सरकार की संकटमोचक बनीं और उन्होंने सरकार को बाहर से समर्थन जारी रखने की बात कही।

इसके बावजूद सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने रात को यह कह कर कांग्रेस को चौंका दिया कि उनकी पार्टी का संसदीय बोर्ड बैठक कर हालत पर विचार करेगा।

करुणानिधि के दांव से हिली सरकार ने दावा किया है कि यूपीए को बहुमत हासिल है।

केंद्र सरकार से द्रमुक का हटाना इसलिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि यूपीए में कांग्रेस के बाद द्रमुक के लोकसभा में सबसे ज्यादा 18 सांसद हैं।

द्रमुक के ऐलान के बाद यूपीए के पास अब 233 सांसद हैं, जबकि सपा, बसपा, राजद और जेडीएस के 50 सांसदों का बाहर से समर्थन मिल रहा है।

इस तरह सरकार के पास द्रमुक के अलावा बहुमत के लिए जरूरी 271 सांसदों की संख्या से कुछ अधिक सदस्य (233+50=283) हैं। सत्ताबल के लिए जरूरी आंकड़ों बावजूद द्रमुक के अलग होने से सरकार की राजनीतिक साख पर गहरे सवाल तो खड़ा हो ही गए हैं।

इससे पहले करुणानिधि ने चेन्नई में अपने मंत्रियों को हटाने का ऐलान करते हुए यूपीए सरकार पर आरोप लगाया कि उसने श्रीलंका के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में पेश होने वाले प्रस्ताव को मजबूत करने के लिए द्रमुक के सुझाए संशोधनों पर विचार तक नहीं किया।

उन्होंने कहा कि ऐसी सरकार में बने रहने का क्या मतलब जिसमें तमिल ईलम के लोगों को कोई फायदा नहीं मिले।

हालांकि करुणानिधि ने यूपीए में वापसी का रास्ता यह कहते हुए खुला रखा कि अगर सरकार 21 मार्च से पहले संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पेश होने वाले अमेरिका समर्थित प्रस्ताव में उनके सुझाए दो संशोधनों को शामिल करने के प्रस्ताव को पारित करती है तो वह अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकते हैं।

द्रमुक के फैसले से मचे हड़कंप के बावजूद संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि सरकार तमिल मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार है। उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार सरकार ने द्रमुक को मनाने के लिए श्रीलंका में तमिलों की स्थिति पर प्रस्ताव के मसौदे पर काम करना शुरू कर दिया है।

यूपीए के रणनीतिकार इसके लिए विपक्ष को भी मनाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं बैक चैनल डिप्लोमेसी के जरिए श्रीलंका पर अमेरिकी प्रस्ताव में मध्यमार्गी संशोधन की राह तलाशी जा रही है।

No comments:

Post a Comment