नई
दिल्ली: किश्तवाड़ हिंसा पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के
बीजेपी पर कटाक्ष के जवाब में बीजेपी ने उमर को तथ्यों में सुधार का सुझाव
देते हुए कहा कि गुजरात के 2002 के दंगों के मामले में नरेंद्र मोदी की
भूमिका के बारे में उनकी जानकारी गलत तथ्यों पर आधारित है। पार्टी
प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने अपने ट्वीट में कहा है कि 28 फरवरी 2002 को
गुजरात में दंगे भड़के और 1 मार्च को सेना तैनात हो चुकी थी। साथ ही
उन्होंने बताया कि 28 फरवरी को दंगों के तुरंत बाद ही उसी दिन सेना को
तैनात जाने के लिए आग्रह किया गया था। उन्होंने उमर अब्दुल्ला के उस बयान
कि 2002 में मोदी को कुछ दिन लग गए थे सेना को तैनात करने में, कहा कि 28
फरवरी के बाद 1 मार्च ही आता है और बीच में एक भी दिन नहीं है। गौरतलब
हैकि किश्तवाड़ हिंसा की गूंज सोमवार को संसद में भी सुनाई दी थी और भारतीय
जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने वरिष्ठ नेता अरुण जेटली को रविवार को
किश्तवाड़ जाने से रोके जाने को लेकर जम्मू-कश्मीर सरकार की आलोचना की और
हिंसा को लेकर उमर अब्दुल्ला सरकार पर निशाना साधा था। उल्लेखनीय है कि इस
हिंसा के मामले में दो पुलिसवालों सहित 11 लोगों की गिरफ्तारी की गई है और
छह जिलों में कर्फ्यू लगाया गया है। वहीं, इस मामले को लेकर आरोप लगाए
जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के गृह राज्यमंत्री सज्जाद किचलू ने अपने पद से
इस्तीफा दे दिया।
बीजेपी
ने आरोप लगाया था कि किचलू ने किश्तवाड़ हिंसा को बढ़ावा दी। हालांकि किचलू
ने बीजेपी के आरोपों को निराधार बताया। किचलू के इस्तीफे के बाद
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया था... क्या
बीजेपी 2002 याद करेगी... क्या जेटली संसद को यह बताने का कष्ट करेंगे कि
2002 में क्या गुजरात के गृहमंत्री या गृह राज्य मंत्री ने इस्तीफा देने की
पेशकश भी की थी या नहीं...बीजेपी ऐसा नहीं कर सकती, क्योंकि उनके पीएम
बनने के उम्मीदवार ने कई दिनों तक सेना को बुलाने का इंतजार किया था और अब
तक माफी नहीं मांगी है। किश्तवाड़ हिंसा के मामले पर राज्यसभा में विपक्ष
के नेता अरुण जेटली ने कहा, यह काफी गंभीर मामला है। वहां सामुदायिक रिश्ते
काफी सौहार्दपूर्ण थे। पिछले कुछ दिनों में किश्तवाड़ में राष्ट्रविरोधी
गतिविधियां बढ़ीं। उन्होंने कहा कि असहाय लोग मदद की गुहार लगा रहे थे और
पुलिस मूकदर्शक बनी रही। जिला प्रशासन ने भी कोई कदम नहीं उठाया। सैकड़ों
दुकानों में आग लगा दी गई, घरों में तोड़फोड़ की गई और लोग जख्मी हुए।
जेटली ने कहा कि सेना बुलाने में जानबूझकर देरी की गई और हालात को बिगड़ने
दिया गया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर राज्य किसी एक परिवार की जागीर
नहीं है। यह भारत का अभिन्न अंग है और आपको तय करना होगा कि यहां कैसे शासन
चलाया जाना है। जेटली ने कहा कि किश्तवाड़ में मिश्रित समुदाय रहते हैं
और उनके बीच आपसी भाईचारा का इतिहास रहा है। लेकिन ईद के दिन किश्तवाड़ में
लोग प्रदर्शन के रूप में जुट गए और चुनिंदा लोगों को निशाना बनाया गया।
इन
घटनाओं के बारे में प्रधानमंत्री को भी सूचित किया गया। उन्होंने राज्य
सरकार द्वारा आसपास के क्षेत्र में मीडिया सहित किसी को भी प्रवेश की इजाजत
नहीं देने के निर्णय का विरोध करते हुए कहा कि क्या हम इस तरह की
शुतुरमुर्ग वाली नीति अपना कर सूचनाओं को छिपा सकते हैं। उन्हें किश्तवाड़
जाने की इजाजत नहीं दिए जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, मेरे साथ जो
हुआ, वह गौण बात है, लेकिन क्या सभी के साथ यह होना चाहिए। उन्होंने
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनके परिवार पर कटाक्ष करते हुए कहा,
जम्मू-कश्मीर किसी परिवार की संपत्ति नहीं है। जेटली ने कहा कि क्या बीजेपी
शासित राज्यों में कभी ऐसा हुआ है। उन्होंने कहा कि इस मामले में मीडिया
भी दोहरे मापदंड अपना रहा है। विपक्ष के नेता ने पूरे मामले की जांच कराए
जाने की मांग करते हुए मृतकों एवं घायलों को मुआवजा दिलाने और दोषियों को
सजा दिलाने की मांग की। उन्होंने इस बात पर हैरत जताई कि इस मामले में अभी
तक कोई गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई। इस बीच, गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह ने
बताया कि केंद्र ने जम्मू-कश्मीर सरकार से किश्तवाड़ में हुई झड़प के बारे
में रिपोर्ट मांगी है। वहीं, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला
ने किश्तवाड़ झड़प की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। उमर ने घोषणा की कि
उच्च न्यायलय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश इस जांच का नेतृत्व करेंगे और समय
सीमा के अंदर जांच पूरी होगी।
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