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Thursday, 4 July 2013

बहादुरी से लड़ रहे थे एसपी बलिहार, तभी गोलियां हुई खत्म और..

धनबाद, दुमका के काठीकुंड थाना क्षेत्र में पाकुड़ एसपी अमरजीत बलिहार अदम्य साहस का परिचय देते हुए नक्सलियों से काफी देर तक लड़ते रहे। अंतत: जब उनकी रिवॉल्वर की गोलियां खत्म हो गई तो नक्सली उन्हें मोर्चे से खींचकर ले गए और बेरहमी से मारा डाला। यह आंखों देखी कहानी शहीद एसपी के घायल अंगरक्षक लोबेनियस मरांडी ने बयां की है। वह अभी धनबाद केंद्रीय अस्पताल के गहन चिकित्सा केंद्र में भर्ती हैं। उस खौफनाक मंजर को याद करते हुए अंगरक्षक ने बताया कि नक्सलियों ने अचानक सड़क के दोनों ओर से एसपी साहब की गाड़ी पर फायरिंग शुरू कर दी। शुरू में ही एक गोली अंगरक्षक चंदन थापा को लगी। स्थिति को भांपते हुए एसपी साहब खुद गाड़ी से उतर गए। उनके पीछे कवर फायरिंग करते हुए मैं भी गाड़ी से उतरा और साहब के साथ एक पेड़ के पीछे से नक्सलियों पर जवाबी फायरिंग शुरू कर दी। इस दौरान नक्सलियों के एक जत्थे से एसपी साहब की मुठभेड़ चल रही थी। वह जत्था काफी नजदीक आ गया। जबकि दूसरा जत्था साहब की एस्कॉर्ट पार्टी को टारगेट कर गोली चला रहा था। थोड़ी देर में ही चारों ओर से गोली चलने लगी। जवाबी फायरिंग में साहब के रिवॉल्वर के साथ मेरे हथियार की भी गोली खत्म हो गई। इसी बीच एक गोली मेरे (मरांडी के) बाएं हाथ में लगी और मैं गिर गया। साहब भी मेरी हालत देखकर घबरा गए। धीरे-धीरे मेरी आंखें बंद होने लगीं। तभी अचानक आधा दर्जन नक्सली पेड़ के पास आ धमके और साहब को पकड़ लिया। उन्हें खींचते हुए ले गए। नक्सलियों की इस हरकत के बाद ही मेरी (मरांडी की) आंखें बंद हो गई। जब उसकी आंखें खुलीं तो खुद को अस्पताल में पाया।

Friday, 14 June 2013

पीने का यह फायदा जानकर जरूर 'चीयर्स' करेंगे आप

खुशी का मौका हो या गम, पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए। अगर आप भी खास अवसरों पर जाम हाथ में लेकर 'चीयर्स' करने के बहाने खोजते हैं तो आपके लिए एक बड़ी खुशखबरी है।

एमएसएन नाओ में प्रकाशित अमेरिका और ब्रिटेन के दो अध्ययनों में यह पाया गया है कि जो लोग अधिक ड्रिंक करते हैं वे अपेक्षाकृत अधिक स्मार्ट और बुद्धिमान होते हैं। 

शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने ब्रिटिश बच्चों को सुस्त से लेकर तेज दिमाग के आधार पर पांच समूहों में बांटा। पांच साल बाद उन्होंने उनका दोबारा अध्ययन किया और पाया कि जिन बच्चों ने एल्कोहल का सेवन किया है, उनका दिमाग दूसरों की अपेक्षा अधिक तेजी से प्रतिक्रिया देता है।

हालांकि शोधकर्ता अभी तक इस निष्कर्ष के पीछे का ठोस कारण नहीं जान सके हैं और इस दिशा में और अधिक अध्ययन कर रहे हैं। फिर भी उन्होंने माना है कि एल्कोहल के सेवन का दिमाग की प्रतिक्रिया से संबंध हो सकता है।

यह जानने के बाद अगर आपका मन भी जाम के साथ 'चीयर्स' करने का हो जाए, तो ताज्जुब की बात नहीं है।

Tuesday, 11 June 2013

जुलाई से SMS से बुक करवाएं रेल टिकट

नई दिल्ली।। आईआरसीटीसी पहली जुलाई से ऐसा सिस्टम शुरू करने जा रही है, जिससे लोग बिना इंटरनेट वाले मोबाइल फोन से एसएमएस के जरिए भी रेल टिकट बुक करा सकेंगे। जल्द ही रेलवे एसएमएस करने के लिए नंबर जारी करेगा।

इसके लिए कस्टमर को पहले आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर जाकर खुद का मोबाइल नंबर रजिस्टर करना होगा। टिकट की रकम के पेमेंट के लिए भी अपने बैंक में रजिस्टर कराना होगा। टिकट बुक कराने के लिए किए गए एसएमएस का चार्ज 3 रुपए होगा। इसके अलावा पांच हजार रुपए तक के टिकट पर 5 रुपए और इससे ज्यादा के टिकट पर 10 रुपए शुल्क लगेगा।

आईआरसीटीसी के प्रवक्ता ने बताया कि यह सुविधा यात्रियों को देश में कहीं से कभी भी टिकट उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की जा रही है। इसमें प्रिंट आउट निकालने की जरूरत भी नहीं रहेगी, केवल मोबाइल पर मिला मेसेज ही टिकट का काम करेगा। उनके मुताबिक, रेल टिकट के भुगतान की सुविधा 26 से ज्यादा बैंक मुहैया करा रहे हैं। आईआरसीटीसी का कहना है कि इससे टिकट बुक करना आसान होगा तो काउंटर्स पर भीड़ में भी कमी आएगी।

ऐसा मिलेगा टिकट
पहले यात्री को अपना मोबाइल नंबर आईआरसीटीसी और अपने बैंक के पास रजिस्टर कराना होगा। बैंक (एमएमआईडी) मोबाइल मनी आईडेंटिफायर और (ओटीपी ) एक बार काम में आने वाला पासवर्ड देगा, जिसके माध्यम से किराए का भुगतान करना होगा।

सफर करने वाले को अपने मोबाइल से ट्रेन नंबर, यात्रा का स्थान, यात्रा की तारीख, श्रेणी, अपना नाम, उम्र और लिंग की जानकारी देने वाला एसएमएस करना होगा। इसके बाद यात्री को एमएमआईडी से वन टाइम पासवर्ड मिलेगा और भुगतान होने के बाद टिकट बुक हो जाएगा।

जापान में अब 500 किमी. की रफ्तार से दौड़ेगी बुलेट ट्रेन

टोक्‍यो : जापान ने अब ऐसी बुलेट ट्रेन तैयार कर ली है जो 500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पटरियों पर दौड़ेगी। इस ट्रेन का पहला सफल परीक्षण किया जा चुका है। 

जापान की यह ऐसी पहली वाणिज्यिक ट्रेन है जो हवा में तैरने वाले चुंबकीय ट्रैक पर दौड़ लगाएगी। जापान में इस तकनीक से दौड़ने वाली ट्रेनों को मैगलेव ट्रेन नाम दिया गया है। 

सेंट्रल जापान रेलवे के अधिकारियों ने सोमवार को मध्य जापान के यामानाशी प्रांत में बने टेस्ट ट्रैक पर इस एलओ मॉडल का परीक्षण किया। बेहद तेज गति की इस ट्रेन के परीक्षण के लिए इसके टेस्ट ट्रेक का 43 किलोमीटर तक विस्तार किया गया था। पांच डिब्बों वाली इस ट्रेन के आगे इंजन लगा था और इसने धीमी रफ्तार से अपने ट्रैक पर दौड़ना शुरू किया। शुरुआत में यह देखा गया कि चुंबकीय ट्रैक पर क्या ट्रेन सही ढंग से सतह को छोड़ कर धीरे-धीरे उठ पाती है।

जापान में चुंबकीय तकनीक से दौड़ने वाली इन ट्रेनों की कॉमर्शियल शुरुआत 2027 में टोक्यो और नागोया के बीच करने की तैयारी है। यह ट्रेन 500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा करेगी, जिससे टोक्यो-नागोया जैसे दूरस्थ शहरों का सफर मात्र 40 मिनट का रह जाएगा। 

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अपने अंतिम रूप में यह ट्रेन 16 डिब्बों की होगी और एक बार में इसमें 1000 मुसाफिर तक सफर कर सकेंगे। साल 2045 तक इसके ओसाका तक बढ़ाए जाने की योजना है। इसके बाद भविष्य में इन ट्रेनों से पूरे जापान को जोड़ने की योजना है।

जापान की बुलेट ट्रेन तकनीक का फायदा भारत को भी मिलेगा। जापान ने भारत को भरोसा दिलाया है कि वह उसके यहां हाई स्पीड रेलवे सिस्टम को विकसित करने में भारी निवेश करने का इच्छुक है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जापान गए थे, जहां उन्होंने जापानी पीएम शिंजो अबे के साथ संयुक्त वक्तव्य जारी किया था। इसमें भारत में 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाने के लिए दोनों देशों के आपसी सहयोग की बात कही गई थी। 

Monday, 10 June 2013

कभी चूहों से भी छोटे थे इंसान...!

दुनिया में इंसानों के प्राचीन इतिहास को लेकर समय समय पर वैज्ञनिक तथ्य सामने आते रहे हैं। एक नए अध्ययन की माने तो बहुत अरसा पहले इंसानों के पूर्वज आकार में चूहों से भी छोटे होते थे।

चीन के हुबेई प्रांत में 2003 में मिले दुनिया के सबसे पुराने कंकाल एवं जीवाश्म के अध्ययन से इसका संकेत मिला है कि मानवों के पूर्वजों का कद बहुत छोटा हुआ करता था।

जो कंकाल बरामद किए गए थे, वे एक नए वंश और प्रजाति के हैं, जिन्हें आर्किकेबस के नाम से जाना जाता है। चीनी, अमेरिकी और फ्रांसीसी वैज्ञानिकों की ओर से लिखे गए दस्तावेज में इन तथ्यों का उल्लेख है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि पाषाण काल के शुरुआती दौर में 5.5 करोड साल पहले बंदर रहते थे। यह पहले से ज्ञात स्तनधारी जीवों से 70 लाख साल पुराने हैं।

इन बेहद छोटे स्तनधारी जीवों का शरीर करीब 71 मिलीमीटर लंबा और इनका वजन 20 से 30 ग्राम के बीच होता था। कंकालों के अध्ययन में कहा गया है कि ये जीव पेड़ पर चढ़ सकते थे और उछल कूद भी कर सकते थे।

अध्ययन दल का नेतृत्व करने वाले चाइनीज एकैडमी ऑफ साइंसेज के डॉक्टर नी जीजुन ने कहा कि ये जीव मानव प्रजाति के सबसे प्राथमिक सदस्य थे।