
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार न बनने की दशा में राष्ट्रपति शासन लगने का बयान देना जायसवाल के लिए मुश्किलों का सबब बन गया। एक तरफ जहां कांग्रेस नेतृत्व को यह बयान रास नहीं आ रहा है, वहीं आयोग ने भी नोटिस जारी कर दिया है। शुक्रवार को जारी नोटिस में आयोग ने माना है कि पहली नजर में उनका बयान आचार संहिता का उल्लंघन है जिसमें मतदाताओं को परोक्ष धमकी दी गई है।
उन्हें सोमवार की दोपहर दो बजे तक अपनी सफाई देने को कहा गया है। उधर, बेनी का मामला भी सोमवार तक टल गया है। शिकायतकर्ता और भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन के आग्रह पर सुनवाई सोमवार की शाम को होगी। ध्यान रहे कि उत्तार प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान मुस्लिम आरक्षण बढ़ाने के बयान पर घिरे बेनी के आचरण पर आयोग ने पहले ही अपनी सख्त आपत्तिजता दी थी। बेनी ने आग्रह किया था कि कोई फैसला लेने से पहले उन्हें सुनवाई का एक मौका दें। सुनवाई के दौरान शाहनवाज को भी मौजूद रहना था। लेकिन बाद में उनके आग्रह पर सुनवाई की तिथि सोमवार तक बढ़ा दी गई है।
गौरतलब है कि सुनवाई के दौरान दोनों पक्ष के अधिवक्ता भी मौजूद होते हैं। उनकी दलील सुनने के बाद आयोग अपना निर्णय लेता है। वैसे यह तय माना जा रहा है कि बेनी को कम से कम आचार संहिता उल्लंघन का दोषी करार दिया जाएगा। जबकि, भाजपा की ओर से कुछ कठोर निर्णय लेने के लिए दबाव बनाया जाएगा। गौरतलब है कि कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के मामले में आयोग ने राष्ट्रपति को भी पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की थी। राष्ट्रपति ने कार्रवाई के लिए उस पत्र को प्रधानमंत्री को भेज दिया था।
No comments:
Post a Comment