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Tuesday, 11 September 2012

'मुगलों और अंग्रेजों के मुखबिर थे दिग्गी के पूर्वज'

मुंबई।। ठाकरे परिवार को बिहार मूल का बताने वाले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह पर उन्हीं के अंदाज में पलटवार किया गया है। शिवसेना के मुखपत्र 'दोपहर का सामना' के एक लेख में दिग्विजय के पूर्वजों 'दगाबाज' कहते हुए दावा किया गया है कि वे मुगलों और अंग्रेजों के मुखबिर थे। लेख में ठाकरे के पूर्वजों की खूब तारीफ गई है। कहा गया है कि शिवाजी की सेना में ठाकरे के पूर्वजों का अहम स्थान रहा है। वहीं, दिग्विजय को खिंची कुल का बताया गया है। लेख में कहा गया है कि दिग्विजय के पूर्वज मुगलों और अंग्रेजों की मुखबिरी करते थे।

इसमें लिखा गया है, 'ठाकरे कुल पर आरोप लगाने वाले दिग्विजय सिंह का कुल भी जांच लिया जाए। ठाकरे कुल के पूर्वज तो छत्रपति शिवराज की सेना के शूरवीर थे। वे हिंदू स्वराज के लिए लड़ रहे थे। दिग्विजय सिंह का कुल खींची राजपूतों का है। वे जिस राघोगढ़ रियासत के राजा हैं उसका अधिकृत इतिहास उनके खींची होने की पुष्टि करता है। खींची संस्थान, जोधपुर से प्रकाशित 'सर्वे ऑफ खींची हिस्ट्री'जिसके लेखक ए.एच निजामी और जी. ए. खींची हैं, का दावा है कि खींची उपजाति राजपूत धन लेकर युद्ध करने के लिए कुख्यात रहे हैं। ... दिग्वजिय जिस रोघागढ़ रियासत के कुंवर हैं, वह रियासत गरीबदास नामक योद्धा को बादशाह अकबर ने दी थी। जब राजपूताना और मामलाव के अधिकांश क्षत्रिय राणा प्रताप की ओर हो लिए थे, तब भी राघोगढ़ का गरीबदास अकबर का मुखबिर था। इस गद्दी पर 17 97 तक दिग्विजय का पूर्वज बलवंत सिंह मौजूद था। '1778 के प्रथम मराठा-अंग्रेज युद्ध में बलवंत सिंह ने अंग्रेजों की मदद की थी।

गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से दिग्विजय सिंह और ठाकरे परिवार के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है। विवाद तब शुरू हुआ जब दिग्विजय सिंह ने यह कहा कि बिहारियों का विरोध करने वाला ठाकरे परिवार खुद बिहार से आया है। इसके लिए उन्होंने ठाकरे परिवार पर लिखी किताब का हवाला भी दिया। दिग्विजय के इस बयान से तिलमिलाए उद्धव ठाकरे ने उन्हें पागल तक कह डाला।

Monday, 18 June 2012

कांग्रेस ने कसी दिग्विजय पर नकेल, पार्टी की ओर से बयान देने पर लगी रोक

नई दिल्‍ली. आए दिन अपने बयानों से पार्टी को मुश्किलों में डालने वाले दिग्विजय सिंह पर कांग्रेस ने सख्‍ती बरतनी शुरू कर दी है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का कोई भी बयान अब पार्टी का बयान नहीं माना जाएगा। कांग्रेस के मीडिया सेल ने आज एक बयान जारी कर यह फरमान सुनाया। बयान में कहा गया है, दिग्विजय सिंह पार्टी की तरफ से बोलने के लिए अधिकृत नहीं हैं। दिग्विजय सिंह ने हाल में तृणमूल कांग्रेस चीफ और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पर टिप्‍पणी की थी। सूत्रों का कहना है कि पार्टी नहीं चाहती कि राष्‍ट्रपति चुनाव के मसले पर ममता से यूपीए की दूरी बढ़े। ममता की तरफ से यूपीए के उम्‍मीदवारों का नाम खारिज किए जाने के बाद दिग्विजय ने कहा था, यह पार्टी अध्‍यक्ष सोनिया गांधी और पीएम मनमोहन सिंह के लिए बेहद शर्मनाक है कि ममता बनर्जी ने न सिर्फ यूपीए के उम्‍मीदवारों के नाम खारिज कर दिए बल्कि समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाकर तीन और नाम उछाल दिए जिसमें एक पीएम का भी नाम शामिल था। यूपीए की अहम सहयोगी ममता बनर्जी वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने का भी विरोध करती आ रही हैं। दिग्विजय ने इस मसले पर एक टीवी शो के दौरान कहा था, हर बात की सीमा होती है, जहां तक कोई झुक सकता है। दिग्विजय से पूछा गया था कि ममता को यूपीए से बाहर जाने से रोकने के लिए कांग्रेस किस सीमा तक झुक सकती है। अपनी बात के साथ ही दिग्विजय ने यह साफ किया कि कांग्रेस अपनी ओर से ममता से ‘जाने के लिए’ नहीं कहेगी और न ही ऐसा कुछ करेगी कि ममता यूपीए से अलग हो जाएं। उन्होंने कहा, ममता को मनाने के हमने सारे प्रयास किए थे। एक सीमा तक कांग्रेस ने ममता के नखरे भी उठाए हैं, लेकिन एक सीमा के बाद कुछ भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। दिग्विजय सिंह ने यहां तक कहा दिया था, ममता कई मामलों में अस्थिर हैं। वह ऐसी ही हैं। उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं। वह ममता हैं। वह आपकी सोच के विपरीत कुछ भी कर गुजर सकती हैं।

Saturday, 19 May 2012

चुनाव में धांधली पर राहुल व दिग्गी को नोटिस

इंदौर। मध्यप्रदेश की इंदौर की एक अदालत ने एनएसयूआई चुनाव में धांधली को लेकर कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी और दिग्विजय सिंह को नोटिस जारी 26 जून तक अपना पक्ष रखने को कहा है। उल्लेखनीय है कि मार्च में हुए प्रांतीय चुनाव में विपिन वानखेडे के प्रदेश अध्यक्ष चुने जाने पर विवाद खड़ा हो गया था। छात्र नेता विवेक तंवर और शिवमनी ने विपिन की चयन प्रक्रिया पर आपत्ति जाहिर की थी और इस संबंध में राहुल गांधी, दिग्विजय समेत एनएसयूआई और कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारियों को जानकारी भी दी थी। परंतु तमात आपत्तियों को दरकिनार करके वानखेडे को एनएसयूआई का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया था। बाद में विवेक तंवर और शिवमनी ने विपिन की नियुक्ति को लेकर सत्र न्यायालय में याचिका दायर कर दी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि विपिन ने जिस आयडियलिक कॉलेज का खुद को छात्र बताया है वह उस कालेज का छात्र है ही नहीं। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि विपिन ने 66 अन्य छात्रों को इसी कालेज से संबद्ध बताते हुए फर्जी कार्यकारिणी बनाई और उसी का नेतृत्व करते हुए चुनाव में खड़ा हुआ। याचिका में आरोप लगाया गया है कि विपिन किसी अन्य कालेज का छात्र है और उसने चुनाव जीतने के लिए बंद पड़े 11 कालेजों के फर्जी छात्रों और बीएड के छात्रों को बीकॉम का छात्र बताकर मतदान करवाया।